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रो पड़ा फिर मैं भी मेरा वो मंजर देख कर

था मैं नींद में और मुझे सजाया जा रहा था ,
बड़े ही प्यार से मुझे नहलाया जा रहा था ...!

ना जाने था वो कौन सा अजीब खेल मेरे घर में ,
बच्चों की तरह मुझे कंधे पे उठाया जा रहा था ...!

था पास मेरे मेरा हर अपना उस वक़्त ,
फिर भी मैं हर किसी के मुंह से बुलाया जा रहा था ...!

जो कभी देखते भी ना थे मोहब्बत की निगाह से ,
उनके दिल से भी प्यार मुझ पर लुटाया जा रहा था ...!

मालूम नहीं हैरान था हर कोई मुझे सोते हुए देख कर ,
जोर जोर से रोकर मुझे हँसाया जा रहा था ...!

काँप उठे मेरी रूह मेरा वो मकाँ देख कर ,
पता चला मुझे दफनाया जा रहा था ...!

रो पड़ा फिर मैं भी मेरा वो मंजर देख कर ,
जहाँ मुझे हमेशा के लिए सुलाया जा रहा था.....

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